आनुवंशिकता एवं जैव विकास सर्वश्रेष्ठ पीडीएफ़
अनुवांशिकता।
पीढ़ी दर पीढ़ी सन चल रही प्रक्रिया को विषमता कहते हैं मेंडल ने इसे तीन सूचनाओं तक दिया
1. स्वतंत्र बिहू का नियम, _प्रकृत में सभी जीव अपनी तरह की पवित्रता पैदा करने की क्षमता रखते हैं जो स्वतंत्र आबू की श्रेणी में आता है
2.पृथक्करण का नियम __ रक्षित विभिन्न प्रकार के प्राणी विभिन्न वातावरण में रहते हुए विभिन्न प्रकार के अकसमात कुछ परिवर्तन देखने को मिलते हैं जो अलग-अलग श्रेणी में होते हैं जैसे मेंडल ने मैटर के संयोजी का प्रयोग करके प्रण कर सकते हैं कि हरे समझौते हरे नीले और सफेद निशान वाले पैदा हुए इस तरह से वशीकरण का नियम कहा जाता है जो एपिसोड की श्रेणी में आता है
3.प्रभाव का नियम__आनुवंशिकता में तीसरा नियम इस बात पर आधारित होता है कि कुछ प्रकृति एवं मानव के गुण माता-पिता के जन्म होते हैं तो माता के गुण छिप जाते हैं तथा नर क्यों भर जाते हैं तथा नर के छिप जाते हैं माता के ऊपर हो जाते हैं ऐसी स्थिति में प्रभाविता नियम लागू होता है जिसे प्रभाविता नियम करते हैं
सर्वश्रेष्ठ विषमता एवं जैव विकास
अनुवांशिकता एक ऐसी गुणवत्ता है जो एक आकृति के प्रभाव को निर्धारित करती है। इसका मतलब यह है कि एक आकृति के संबंध में होने वाले परिवर्तन किसी विशिष्ट वर्ग या जाति के लिए अधिक हो सकते हैं। यह परिवर्तन आकृति में होने वाले उत्परिवर्तन द्वारा होते हैं।
मैंने इसी कथन को कई घटकों में दिया मेंडल ने अपने शब्दों में कहा 123 संकरण जाति दी संकरण जात दो श्रेणी में था।
जैव विकास_
पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली प्रक्रिया जय विकास की श्रेणी से ही होती है जिसमें लैमार्कवाद डार्विनवाद एग्रोटीस अन्य वैज्ञानिकों ने अपने मतों को रखा है और उनके अनुसार विभिन्न प्रकार की सूचनाओं की भी पुष्टि की है जिसका विस्तार इसमें नहीं कर सकते हैं हमारे पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं विज्ञान में इसे जानकारी प्राप्त हो जाएगी
जैव विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक जीव का दृश्य है
जैव विकास एक महत्वपूर्ण विषय है जो हर जीव के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक जीव के शारीरिक विकास के दौरान कई बदलाव होते हैं। इसमें भौतिकता के साथ-साथ मानसिक, जुड़ाव और सामाजिक परिवर्तन भी होते हैं।
जैव विकास विभिन्न रूपों में विभिन्न तरीकों से होता है। यह एक नियमित प्रक्रिया होती है जो जीवन के प्रारंभिक चरण से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। यह प्रक्रिया जीव की संरचना और कार्यों में बदलाव लाती है जिससे वह अपने आस-पास के पर्यावरण में जीवित रह सकता है। जैव विकास के चरणों में जन्म, बचपन, युवावस्था, जन्म और मृत्यु शामिल होते हैं। इन चरणों में शारीरिक परिवर्तन और विकास होते हैं जो जीव की संरचना के लिए होते हैं।