अभिप्रेरणा का अर्थ,परिभाषा, प्रकार,विशेषताएँ good best (Motivation)
अभिप्रेरणा का अर्थ.
गति प्रदान करना/ अर्जित प्रेरक,
मोटिवेशन ,मोटम ,मोवेयर ,मूव,समानार्थक शब्द है जिसका अर्थ गति प्रदान अभिप्रेरणा आंतरिक शक्ति है जो ध्यान कर्षण लालच इच्छा जिज्ञासा को उत्पन्न करते हैं।
अर्थ एवं परिभाषाएं
स्कीनर के अनुसार...
अभिप्रेरणा सीखने का सर्वोत्तम राजमार्ग माना जाता है।
God के अनुसार
कार्य का आरंभ हुआ जारी करने की प्रक्रिया मानी जाती है।
माइक गूगल के अनुसार
शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दशाएं जो कार्य को प्रेरित करती रहती है।
गुड वर्ष के अनुसार
वह समूह जो निश्चित उद्देश्य व्यवहार को स्पष्ट कराता है।
अभिप्रेरणा के प्रकार.
1. आंतरिक या सकारात्मक प्रेरणा
जो प्रणाम मानव में सकारात्मक रूप से निहित होती हैं तथा उत्पन्न होती हैं उसे सकारात्मक खेड़ा कहते हैं जिसमें सपने सच साकार होते हैं।
2. नकारात्मक प्रेरणा
नकारात्मक पीड़ा में जैसे किसी भी प्रश्न को हल करने या किसी भी समस्या को हल करने में बाधाएं उत्पन्न होती हो तथा गीत मन में भावना उत्पन्न होती है।
प्रेरणा के स्रोत.
1. आवश्यकताएं.
2. चालक.
3. उद्दीपन.
4. प्रेरक.
अभिप्रेरणा की विधियां.
1. रुचि.
2. सफलता.
3. प्रतिद्वंदिता.
4. सामूहिक कार्य.
5. प्रशंसा.
6. आवश्यक का ज्ञान.
7. परिणाम का ज्ञान.
8. खेल विधि का प्रयोग.
9. सामाजिक कार्यों में भाग.
10. कक्षा का वातावरण.
प्रेरणा देने वाले घटक.
जानवी डीजे कोको के अनुसार उन्होंने अपने मतानुसार प्रेरणा के निम्न घटक बताएं.
1. उत्तेजना
2. आंतरिक उत्तेजना.
3. बाय उत्तेजना
4. आकांक्षा.
5. प्रोत्साहन
6. दंड.
सीखने में प्रेरणा का स्थान.
1. बाल व्यवहार में परिवर्तन
2. चरित्र निर्माण में सहायता.
3. ध्यान केंद्रित करने में सहमति.
4. मानसिक विकास.
5. रुचि का विकास.
6. अनुशासन की भावना का विकास.
कुछ अभिप्रेरणा के शब्द
1. वातावरण संपर्क
जीवन में लक्ष्य मनु विद्याभ्यासम आदत वातावरण के अंतर्गत आता है।
2. व्यक्ति जन्म के साथ.
सामाजिक गतिविधियां तथा जन्म से मरण तक होने वाली प्रक्रिया है एक बंधन मानी जाती है।
3. बरह प्रेरक
बाय प्रेरक के अंतर्गत आने वाले 10 आरोप पुरस्कार प्रशंसा सम्मान आदि शब्द जुड़े होते हैं जो वह प्रेरक के अंतर्गत आते हैं।
4. व्यवहार के लक्षण
मनु प्रवृत्तियों के अंतर्गत देखा गया है कि मानव के व्यवहार में निम्नलिखित लक्षण होते हैं वह लक्षण में मुख्य शब्द उत्सुकता होती है झुकता के अंतर्गत व्यवहार की प्रेरणा मिलती है।
5. उत्साह घटता बढ़ता है.
मानव में अधिकतर या देखा जाता है कि कभी दुख आ जाता है तो उसका घट जाता है और कभी सुख आ जाता है तो गुस्सा बढ़ जाता है इस तरह से मनुष्य के जीवन में उतार और चढ़ाव आता रहता है जिससे प्रफुल्लित होकर कभी सुखी और कभी दुखी का अनुभव होता है इसी को हम जो है उससे करता या बढ़ता के नाम से जाना जाता है।
6. सकारात्मक प्रेरणा
इस प्रेरणा के अंतर्गत बालक किसी भी कार्य को करता है और वह जो है उनके मन में दो भावनाएं उत्पन्न होती हैं एक सकारात्मक एक नकारात्मक यदि सकारात्मक जीत जाती है तो सकारात्मक लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो उसे ही जो सकारात्मक रूप दिया जाता है यदि नकारात्मक में यदि वह हार जाता है तो उसे नकारात्मक करना गेटिंग उत्पन्न होता है इसे नकारात्मक का रूप दिया जाता है.
7. साधारण पर प्रेरक
इस प्रेरक के अंतर्गत देखा जाता है कि स्वप्रेरण की में चेतावनी पूर्ण आंतरिक साधारण तथा आश्चर्यचकित आज प्रकार की स्वप्रेरण धारणाएं उत्पन्न होती है साधारण प्रेरण के अंतर्गत मानते हैं।
अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले कारक
अभी प्रेरणा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण माने जाते हैं आवश्यकताएं और आकांक्षा स्तर पर तथा रुचि संवेगात्मक स्तर पर देखे जाता है कि यह विभिन्न प्रकार के प्रभावित कारक माने जाते हैं।
अभिप्रेरणा के सिद्धांत
अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले छह सिद्धांत होते हैं
1. लेविन का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अंतर्गत संजोग माना जाता है तथा गलती मानती मानी जाती है इस मृति व्याख्या भागना सा निर्णायक आदि प्रविधियां उत्पन्न होती है जिसमें कारक प्रभावित होते हैं
A. संयोग
B. गतिशील
C. व्याख्या व्याख्या
D. भागनासा
E. निर्णय
F. स्मिती
मूल प्रवृत्ति
मूल प्रवृत्ति के अंतर्गत नायक गूगल ने अपने शब्दों में स्पष्ट कहा है। नरेश की शारीरिक तथा मानसिक प्रक्रियाएं प्रेरित करती हैं।
अभिप्रेरणा के सिद्धांत
A. ऐच्छिक सिद्धांत
B. मूल प्रवृत्ति सिद्धांत
C. संवेग
थानायक ने अपने शब्दों में प्रेरणा के मुख्य स्रोत बताया था जिसमें चालक, प्रोत्साहन, उद्दीपक प्रमुख रहा।
मुख्य स्थान
सीखने में लक्ष्य प्राप्ति चरित्र निर्माण प्रेरणा सकारात्मक तथा नकारात्मक होता है
अभिप्रेरणा उत्पन्न और जन्म से मानी जाती है
चालक प्रोत्साहन उद्दीपक
RF. स्पिनर। के अनुसार
अनुक्रिया उद्दीपक सिद्धांत को माना जाता है।
लोरेंज के अनुसार
अनुवांशिक प्रेरणा का सिद्धांत लॉरेंज के अनुसार माना जाता है।
Ch हाल के अनुसार
चालक मंगनाथ प्रमोद का सिद्धांत श्री हाल ने दिया था।
सिंहमंड फायर के अनुसार
मनोविश्लेषण के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कठिनाइयां उत्पन्न होती है जिसमें सिंह मंड फायर ने मनोविश्लेषणात्मक टूटिया बताया।
डेविस के अनुसार
उपलब्धि अभिप्रेरणा का सिद्धांत इसने दिया जिसे मनुष्य के जीवन में होने वाली उपलब्धि उत्प्रेरण प्रेरणा के अंतर्गत मानी जाती है।
अभिप्रेरणा के प्रकार
अभिप्रेरणा दो प्रकार की मानी जाती है
A. जन्मजात अभिप्रेरणा
इस प्रेरणा के अंतर्गत आंतरिक आत्मिक भाव प्राथमिक जैविक सकारात्मक अंत्योदय भूख प्यास नीत काम मूलभूत त्याग आदि उत्पन्न होती हैं जिसे जन्मजात अकेला के अंतर्गत माना जाता है।
B. अर्जित अभिप्रेरणा
इस अभिप्रेरणा के अंतर्गत बायतम द्वितीय जैविक नकारात्मक सामाजिक मान प्रतिष्ठा पुरस्कार सम्मान आदि उत्पन्न होती है।
अभिप्रेरणा के चक्र
A. आवश्यकता
इस प्रेरणा के अंतर्गत पानी भोजन नीत दैनिक आवश्यकताओं की आवश्यकता पड़ती है।
B. चालक प्रमोद
इस प्रेरणा के अंतर्गत प्यास भूख और नींद की कल्पना की जाती है.
C. प्रोत्साहन तथा उद्दीपक
अभिप्रेरणा की प्रक्रिया में अधिगम की भूमिका
अधिगम की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा की भूमिका ए मुख्य पांच नियम पर आधारित होती है.
1. लक्ष्य प्राप्ति में सहायक
2. ध्वनि केंद्रित करने में सहायक
3. मानसिक विकास
4. व्यवहार नियंत्रण
5. अधिगम दिशा निर्देश
6. शाक्य अधिगम दिशाओं का निर्माण
अधिगम संबंधित और समानताएं
अधिगम संबंधी और समानताएं निम्नलिखित पाई जाती हैं.
1. डिसग्राफिया. लेखन सामग्री व्यक्ति क्रम
2. डिस्लेक्सिया. पठान वाचन संबंधी विक्रम
3. डिस्केलकुलिया
गणिती संबंधित व्यक्ति क्रम
4. दिस फ्रेसिका
लेखन वाचन व गणित में व्यक्ति क्रम
संवेग। मूल प्रवृत्तियां
भाय पलायन
क्रोध योगिता
वत्सला। संतान कामना
आश्चर्य। जिज्ञासा
कामुकता। काम प्रगति
आत्महीनता। दुखी
आत्म गौरव। आत्म अभिमान
एकांकी। । Samuhik Katha
ध्रुव। भोजन इच्छा
स्वाभिमित्व संग्रहण
प्रतिमान रचना रचना
आमोद। हंसी मजाक
करुण शरणागति
गिड़ा। निरवित्तीय
FAQ
1.