Best अधिगम और अर्जन super good कंसेप्ट ऑफ लर्निंग notes  

Best अधिगम और अर्जन super good कंसेप्ट ऑफ लर्निंग notes


कंसेप्ट ऑफ लर्निंग निम्न बिंदुओं से पहचाना जा सकता है।


1.कंसेप्ट ऑफ लर्निंग का अर्थ सीखना और अर्जुन का इसी प्रकार से जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया सीखना अर्जुन करना आदि यह प्रयासों और सीख के प्रमुख वातावरण परिस्थिति में संभव होता है भाषा को अर्जित संपत्ति कहा जाता है।
2. भाषा का अर्चन अनुकरण वातावरण के बीच लिखता हुआ देखता है तथा से सीखने का प्रयास करता है।
3. जिस परिवेश में अधिकतर लोगों की भाषा और शुद्ध और बालक के अशुद्ध भाषा सीखने की संभावना अधिक रहती है।
4. व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में भाषा के सहायता मिलती है।
5. व्यक्तित्व स्वयं और दुनिया को समझने की योग्यता विषय वस्तु को याद करने तथा छात्र किसी विषय वस्तु के ज्ञान के आधार पर कुछ परिवर्तन करने व उत्पादन करने ज्ञान का व्यावहारिक प्रयोग करना आदि में सक्षम होते हैं।
6. वैसे मानसिक योग्यता को प्रस्तुत करने तथा उसमें बदलाव लाने की उत्पादक प्रक्रिया रखते मारने की प्रक्रिया कहलाती है वैज्ञानिक गेट्स अपील के अनुसार अनुभव और व्यवहार में रूपांतरण लाना ही अधिगम का रूप होता है तथा अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है सीखना औरतों और ज्ञान तथा अभिवृत्ति का अर्जन है यह सभी नवीन परिस्थितियों के अनुरूप होता है।
7.बच्चे मानसिक रूप से तैयार कब होते हैं जब पढ़ा देना बाद में उसकी कल्पना करना सीखने की प्रवृत्ति को प्रभावित करना बहुत से नए या दास्तां को कायम रखना आदि ऐसी प्रक्रिया होती हैं जो आसपास की दुनिया में जुड़े पाए जाते हैं।
8. सीखने की किसी मदरस्ता उसके बिना नहीं किया जा सकता है प्रत्यक्ष रूप से सीखने में सामाजिक संदर्भ संवाद विशेषकर अधिक संवाद विद्यार्थियों के श्रम के साथ संज्ञानात्मक स्तर पर कार्य करने का मौका मिलता है।
9. संज्ञानात्मक विकास मानसिक योग्यता की महत्वपूर्ण भूमिका अर्जुन में होती है।
10. भाषा का विकास का तात्पर्य सांकेतिक साधन माध्यम से बालक अपने विचारों का संप्रेषण दूसरे के विचारों और भावों को समझता है भाषा योग्यता के अंतर्गत मौखिक अभिव्यक्ति सांकेतिक अभिव्यक्ति लिखित अभिव्यक्ति आदि प्रक्रिया में शामिल होती है।
11. भाषा एक कौशल योग्यता होती है जिसमें अर्जित करने की प्रक्रिया बालक के जन्म से प्रारंभ होती है तथा आरंभ तक ही जाकर समाप्त होती जिसका अनुकरण अनुक्रिया वातावरण शारीरिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक आदि की पूर्ति मांग भाषा योगिता विकास पर निर्भर करती है।
12. धीरे-धीरे एक निश्चित क्रम में भाषा योग्यता का विकास बालक में होता रहता है जिसमें जन्म से लेकर 8 माह तक बच्चों में किसी शब्द की जानकारी नहीं होती है परंतु 9 माह से 12 माह के बीच बालक 3 से 4 शब्दों की जानकारी अर्जित कर लेता है तथा डेढ़ वर्ष से भीतर बालक 10 से 12 शब्दों को अर्जित कर लेता है तत्पश्चात 2 वर्ष से 2 वर्ष तक 200 शब्दों का ज्ञान 3 वर्ष में बालक लगभग 1000 शब्दों का भंडार तथा 16 वर्ष तक बालक में लाखों शब्दों का भंडार अर्जित हो जाता है।
जैसे-जैसे बालक की उम्र है बाल्यावस्था सेवर धीरे-धीरे एक-एक शब्द को पड़ता है और लिखता है उसी प्रकार उसकी गति कौशल भी उम्र के साथ बढ़ती जाती है ज्ञान की प्रक्रिया में स्पष्ट उच्चारण गलत उच्चारण तुतलाना हकलाना देववाणी इत्यादि का समाधान धीरे धीरे करना शुरू कर देता है ऐसे लिखने पढ़ने बोलने की योग्यताएं सर्वाधिक भाषा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

भाषा अधिगम एवं अर्जुन का विस्तार

1.रहस्य यह है कि आखिरी अत्यंत कम उम्र के बावजूद बच्चा जटिल भाषा व्यवस्था को कैसे पड़ता और समझता है कई बच्चे 3 से 4 वर्ष के होते होते तीन से चार भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लेते हैं तथा कुछ बच्चे ऐसे हैं जो भाषिक तंत्रों को अलग रखने की क्षमता को भी ग्रहण कर लेते हैं जिसमें मिलाने की इच्छा जागृत हो जाती है।
2. भाषा सीखने के संदर्भ में व्यवहारिक मनोवैज्ञानिक जैसे वैज्ञानिकों ने पावलव इस किन्नर ने कहा कि अभ्यास नकल करने की भाषा की क्षमता होती है जबकि चासनी की ने कहा कि रिव्यू ऑफिस करनाल बेवर द्वारा व्यवहार की बुनियादी शिक्षा में रखा गया है जिसमें जन्मजात भाषाएं क्षमता विकसित होती है।
पिया जिया और वाइगोत्सकी मनोवैज्ञानिक नहीं उपरोक्त दृष्टिकोण के बीच मस्तिक एक कोरी स्लेट मानते हैं जिसमें संज्ञानात्मक रुख रखने वाले भाषा मानव मस्तिक में पहले से विद्यमान होती है जिसमें धीरे-धीरे व्याकरण के रूप में बोनी बोनी बढ़ती जाती है।
मालपुरा संभाग सामाजिक भाषा के माध्यम से शेष सारी दुनिया से संवाद स्थापित रखता है संज्ञानात्मक विकास की प्रक्रिया को बड़ा ही सुगमता से सिद्धांत विकसित किया इसमें उसकी ने कहा कि छोटे बच्चे न केवल स्वयं का सामाजिक रुप से रचित भाषा का विकास करते हैं बल्कि उनके चित्रों के माध्यम से भाषा को अर्जित करने की प्रेरणा मिलती है।
अधिगम एवं अर्जन के संदर्भ में जिन पियाजे का सिद्धांत
भाषा सीखने की प्रवृत्ति चैत मास की की मानसिक का दाना बहुत ही प्रभावी दिखाई देती है पिया जी जबकि सर्वाधिक प्रभाव कारी साबित होते हैं संज्ञानात्मक विकास के पूर्व ऑपरेशन कन्वर्जन ऑपरेशन ऑफ फार्मूला ऑपरेशन चोरों से गुजरता हुआ धाराओं में शिक्षा शास्त्री विमर्श पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
भाषा सीखे जाने के क्रम में मांस की नहीं वैज्ञानिक पड़ताल के साथ-साथ अवधारणाओं के आंकड़ों का अवलोकन वर्गीकरण संकल्पना निर्माण सत्यापन सत्यता धारण शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें समायोजन के माध्यम से कई रूप रेखाएं बनती है।

बालकों में भाषा विकास की विवेचना

बालक विभिन्न आयाम में विकास होता है भाषा का विकास भी उन्हीं आया हूं मैं से एक महत्वपूर्ण माना जाता है जिसमें कौशल की तरह अर्जित किया गया हो तथा अनुकरण वातावरण के साथ अनुप्रिया एवं शारीरिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक और शब्दों की पूर्ति वह मांग को पूरा करता है।

भाषा विकास के प्रारंभिक व्यवस्था क्या है

एक तरह से देखा जाए तो धनात्मक संकेतों के कुछ युक्तियां ऐसी हैं जो भाषा समझने और प्रयोग करने में शर्म तैयार सिद्ध होते हैं जिनके निम्न पदों पर अध्ययन किया जाता है सबसे पहले चरण में बालक द्वारा चिल्लाने की चेष्टा कुर्ता रोने की तथा ध्वनि व आवाज में निकलने वाले उनका स्वभाव एक स्वचालित नैसर्गिक आदि शब्द जुड़े होते हैं।
सबसे पहले चरण के मुताबिक चिल्लाने की चेष्टा के साथ-साथ बाल बढ़ाने के माध्यम से बालक स्तर और व्यंजन ध्वनियों के आवास का अवसर प्राप्त होता है साथी कुछ भी दूसरे शब्दों से अपने शब्दों में मेन कराते हुए धनिया का निष्कासन करते हैं जैसे इतिहास को तनाका से सुमेलित किया जाता है।

भाषा के विकास की वार्षिक अवस्थाएं निम्न वत होती हैं।

1. प्रारंभिक भाषा सीखने के लिए अवस्था से गुजरने के बाद बालकों में वार्षिक भाषा विकास का कार्य प्रारंभ होता है इसे भाषा की वास्तविक अवस्था क्रम कहलाती है किन के अंतर्गत 1 वर्ष का हो जाने पर तथा 1 से 2 माह पहले ही शुरू हो जाती है मौखिक अभिव्यक्ति के रूप में भाषा का विकास शब्द वाक्य आज से बने भाषा मौखिक अभिव्यक्ति विभिन्न संसाधन पर निर्धारित होती है।
2. कभी-कभी यह देखा जाता है कि विद्यालय में प्रवेश करने लिखित भाषा की शिक्षा ग्रहण करने के फलस्वरूप पढ़ने लिखने की कुशलता विकसित प्रारंभ होना शुरू होती है तथा जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ता है उनकी भाषाएं विचार विचार सहेलियां आदि भिन्न-भिन्न रूपों में सर्वांगीण विकास होता जाता है।
3. सीखने की क्रम में बालक सबसे पहले मौखिक शब्दावली का विकास तथा अभिलेख वाक शक्ति का विकास तत्पश्चात उनकी विभिन्न योग्यताएं 77 निहित होती  है।

भंडार का विकास शब्दकोश

अवस्था और उम्र के आधार से शब्द को शो की अभियां बढ़ती जाती हैं जिसमें नीचे तालिका दिया गया है इस तालिका के माध्यम से आप अनुभव लगा सकते हैं कि कितने उम्र के बाद कितने शब्दों का होता है।