भारत में शराब पार्टी के कारण और भारतीय समाज पर प्रभाव
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1. अनुलोम विवाह
   भारत में अनुलोम विवाह के चलन से उच्च विद्यालय के विद्वानों की मांग दिन पर दिन बढ़ गई जिससे उच्च कुल के विद्वानों के पिता की ऐसी स्थिति से बड़ी-बड़ी धनराज की मांग करने लगे और इस प्रकार इस प्रथा का जन्म हुआ जिसे अनमोल विवाह कहा जाता है ।।
2.अंतर विवाह
  अंतर्विवाह के नियमों के कारण किसी भी कन्या का विवाह एक ही जाति या उपज के पुरुष से होना आवश्यक माना जाता है इस कारण से भारतीय विवाह क्षेत्र में एक ही जाति के योग्य बड़ों की संख्या भी शामिल हो गई है इसे देखते हुए एक अनार्य सौ बीमार की कथा जैसी धारणा बड़ों की संख्या कम होने के कारण उनकी कीमत में वृद्धि हो गई और इस तरह से शराब प्रथा विकसित हो गई।
3. संयुक्त परिवार में मित्र का शोषण
     भारत में स्मृति कल तक इसिनों की स्थिति अत्यंत दैनिक मनी जाती रही, लेकिन संयुक्त परिवार के नववधूओं को कोटा जाने लगा, ऐसे पोलैंड में माता-पिता की कन्या को और अधिक से अधिक तलाक दे दिया गया, ताकि उनके पति के परिवार में अधिक प्रतिष्ठा और शुरुआत हो सके लाभ हुआ तटवर्ती धन प्राप्ति के करने की एक विचारधारा उपकरण बन गया जिसमें दलित प्रतियोगिता का प्रकोप हुआ।
4. विवाह की अनिवार्यता
भारतीय समाज में हिंदू धर्म के अनुसार कन्या से विवाह करना हर माता-पिता के लिए एक अनिवार्य धार्मिक खेती बताया जाता है धार्मिक विचारों के कारण पुण्य की प्राप्ति पाप के भाई से विवाह एक अनिवार्य रेखा रही लेकिन विवाह की यह अनिवार्यता अन्य कन्याओं को देखने के लिए दी जाती है ऐसी कन्याओं के विवाह की समस्या बनी जो कुरूप और विकलांगता से जुड़ी हुई, ऐसी कन्याओं को किसी पुरुष की स्थिति में विवाह करना था जिसके बाद आर्थिक लाभ हो ऐसी कन्याओं के विवाह की समस्या का समाधान भारतीय समाज में माता-पिता बड़ी मात्रा में धन देना लागे तथा यह एक प्रोटोटाइप का स्वरूप धारण कर लिया गया।
5. धन में वृद्धि का महत्व
   वर्तमान समय में माना जाता है कि सिद्धांतवाद सिद्धांत के कारण धान का महत्व बहुत बढ़ गया है कि लोग शराब और अधिक दलित हो गए और आज धन सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बना हुआ है यही कारण है कि पवित्र संस्कार को भी अर्थ लाभ का साधन समझा जाए और यह धन के बढ़ते गए।
6. क्रमबद्ध शिक्षा प्रणाली
    अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा विशेष का स्वास्थ्य और तकनीकी शिक्षा आदि के क्षेत्र में बहुत अधिक आर्थिक रूप से प्रशिक्षित करते हैं।
आर्थिक खर्च ज्यादा करने लगी और इस शिक्षा में हजारों रुपए खर्च करने लगे और लड़के के माता-पिता द्वारा विवाह करने का प्रयास करने लगे ताकि खर्च की गई राज रुचि वापस मिल जाए इसके लालटेन में जो मूल्य का कोड पर रखा जाए का जरिया बन गया।
7. एक पाप पूर्ण चक्र
    एक ऐसा पाप पूर्ण चक्र बन गया जो कई कर्मों से भरा हुआ है। व्यावसायिक प्रकार का परिवर्तन किया जा रहा था और यह चक्रात रूप से चला आ रहा था जो कि डाएप्रा का कोड बन गया।
शराब के लाभ और प्रभाव
भारतीय समाज में शराब पार्टी का प्रभाव निम्नलिखित कर्म से पढ़ा गया
1. पारिवारिक संघर्ष
भारत में फिल्म निर्माताओं के कई पारिवारिक संघर्षों और तनाव को जन्म देना शुरू कर दिया गया, जिससे कलाकारों की कम मीटिंग पर नो बैंडों की तरह-तरह के प्रयास यातनाएं देने लगे, हर समय फिल्म निर्माताओं का उड़ने का विवरण देने लगे और नव वधुओं को हिनाता की भावना के साथ जन्म देना लगा और बहुत तो उत्पीड़न में शामिल होने लगा इस सवाल को देखते-देखते दरिंदे की राशि माता-पिता पुत्र अन्य परिवार सदस्यों के बीच जीवन खतरे में रहे इस तरह से परिवार कलह बन गया।
2. ऋणग्रस्तता आत्महत्या और शिशु हत्या
मध्यवर्ग के परिवार के लिए कन्याओं का विवाह करना एक बहुत बड़ी समस्या बन गई जिससे चक्कर में डिजिटल प्रौद्योगिकी कठिन हो गई और बड़ी मात्रा में परिवार में रेड पीड़ित हो गई और मानसिक तनाव हो गया आज इस प्रकार की कमियां रीड का प्रबंधन नहीं हो पाईं अपने से सामान्य व्यक्ति सामाजिक निंदा और भाई से आत्महत्या कर ली थी ऐसी अनेक कन्याओं से भी विवाह न हो पाने के कारण परिवार को चिंता बन गई थी जिससे जीवन में विघटन की उत्पत्ति हुई थी जहां-जहां कन्याएं पैदा होती थीं वहीं उनकी हत्या होती थी कर दी थी इस तरह से कोड पठता गया।
3. बेमेल विवाह
     भारतीय समाज में अधिक दहेज ना दे सकने वाले माता-पिता समर्थ अपनी योग्य सुंदर और गुणवान कन्या का विवाह अवगुण पुरुष कुरूप अपाचे अपाहिज पुरुष के साथ करते थे कुछ व्यक्ति इस प्रथा के कारण अपनी अल्प आय में ही बच्चियों का शादी कर दिया करते थे जो बड बड से ऐसे विवाह बेमल विवाह जीवन में कभी भी सफलता नहीं होती थी ऐसे विवाह समांतर विवाह विच्छेद तथा विधवा तथा अपाहिज समस्याओं का कारण बन जाते थे जो गंभीर समस्या का धरना हो जाती थी तथा जीवन सुख में नहीं होता 
4. निम्न जीवन स्तर
   दहेज के कारण अनेक परिवार का जीवन स्तर इतना निम्न होता गया कि वह अपनी कन्याओं को दहेज देने के लिए अपनी आय का एक बड़ा भाग माता-पिता को जमा करना पड़ता था ऐसे कारण से परिवार का जीवन स्तर सोता नहीं निभा पाता था जो निम्न स्तर के लोग होते थे वह अपना जी को परसन करने में काफी समस्याएं होती थी परंतु ऐसी स्थिति में वह किसी तरह से निम्न परिवार में ही अपनी बच्ची का शादी करते रहे।
5.विवाह का व्यतिकरण
   दहेज प्रथा ने विवाह की पवित्र आदर्श का व्यापीकरण का इतना बढ़ गया कि दहेज की आकांक्षाएं इतनी अधिक बढ़ गई कि लोग विवाह के पहले लड़के का मोल भाव कर लिया करते थे तथा हिंदू विवाह के संस्कारों में गहरी ठेस पहुंचाना शुरू हो गया जिससे भयभीत होकर समाज में जिन दुर्भर हो गया जो विवाह का ब्याह व्यापरीकरण प्रथा कहलाती है।
6. बाल विवाह को प्रोत्साहन
  दहेज की प्रथा को देखते हुए बाल विकास पर प्रोत्साहन होने लगा यही कारण है कि बाल विवाह में अधिक दहेज की मांग नहीं की जाती थी तथा इस तरह के कन्याओं का बाल विवाह कर देना माता-पिता एक आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी समझते रहे हैं इसी तरह से बाल विवाह की प्रथा जारी हुई।
7. अविवाहित लड़कियों की संख्या में वृद्धि
    अविवाहित लड़कों लड़कियों में देखा गया कि दहेज प्रथा के कारण अनेक लड़कियां अविवाहित ही रह जाती थी अनेक ऐसी पढ़ी-लिखी लड़कियां जो परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाने के कारण विवाह सूत्र में नहीं बच पाती थी तथा मानसिक विक्षेपिता का शिकार हो जाती थी ऐसे बच्चियों का शादी उम्र के बड़े लोगों से कर दी जाती थी जो मानसिक प्रेशर का रूप धारण कर लेती थी तथा विवाह संबंध सुख में नहीं हो पता था।
8. अनेक समस्याओं के लिए उत्तरदाई
भारतीय समाज में दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्याओं के लिए रुकावट मानसिक संतुलन अपराध आज जैसे जन्म होती रही इस प्रथा से आज अनेक विवाह टूट जाते हैं अनेक माता-पिता कन्या मानसिक संतुलन को बैठी हैं अनेक व्यक्ति दहेज के प्रबंध से रिश्वत लेने लगते हैं चोरी करने लगते हैं अनेक अन्य बुराइयां पन्नाफनी लगती थी।